यमुना नदी
देश -भारत
राज्य -उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा
उपनदियाँ -
बाएँ -टोंस, हिंडन, शारदा, कुंता, गिरि, ऋषिगंगा, हनुमान गंगा
दाएँ -चम्बल, बेतवा, केन, सिंध
शहर -दिल्ली, मथुरा, आगरा, इटावा, कालपी
स्रोत -यमुनोत्री
स्थान -बन्दरपूँछ चोटी, उत्तरकाशी जिला, उत्तराखण्ड, भारत
ऊँचाई -3,293 मी. (10,804 फीट)
निर्देशांक -31°01′0.12″N 78°27′0″E
मुहाना -त्रिवेणी संगम
ऊँचाई -b98 मी. (322 फीट)
निर्देशांक -25°30′N 81°53′E
लंबाई -1,376 कि.मी. (855 मील)
बेसिन -3,66,223 कि.मी.² (1,41,399 वर्ग मील)
यमुना भारत की एक नदी है। यह गंगा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है जो यह यमुनोत्री (उत्तरकाशी से 30 किमी उत्तर, गढ़वाल में) नामक जगह से निकलती है और प्रयाग (इलाहाबाद) में गंगा से मिल जाती है। इसकी प्रमुख सहायक नदियों में चम्बल, सेंगर, छोटी सिन्ध, बतवा और केन उल्लेखनीय हैं। यमुना के तटवर्ती नगरों में दिल्ली और आगरा के अतिरिक्त इटावा, काल्पी, हमीरपुर और प्रयाग मुख्य है। प्रयाग में यमुना एक विशाल नदी के रूप में प्रस्तुत होती है और वहाँ के प्रसिद्ध ऐतिहासिक किले के नीचे गंगा में मिल जाती है। ब्रज की संस्कृति में यमुना का महत्वपूर्ण स्थान है।
उद्गम-
यह यमुनोत्री नामक जगह से निकलती है। यह गंगा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है। यमुना का उद्गम स्थान हिमालय के हिमाच्छादित श्रंग बंदरपुच्छ ऊँचाई 6200 मीटर से 7 से 8 मील उत्तर-पश्चिम में स्थित कालिंद पर्वत है, जिसके नाम पर यमुना को कालिंदजा अथवा कालिंदी कहा जाता है। अपने उद्गम से आगे कई मील तक विशाल हिमगारों और हिम मंडित कंदराओं में अप्रकट रूप से बहती हुई तथा पहाड़ी ढलानों पर से अत्यन्त तीव्रतापूर्वक उतरती हुई इसकी धारा यमुनोत्तरी पर्वत (२०,७३१ फीट ऊँचाई) से प्रकट होती है। वहाँ इसके दर्शनार्थ हजारों श्रद्धालु यात्री प्रतिवर्ष भारत वर्ष के कोने-कोने से पहुँचते हैं।
पौराणिक स्रोत
भुवनभास्कर सूर्य इसके पिता, मृत्यु के देवता यम इसके भाई और भगवान श्री कृष्ण इसके परि स्वीकार्य किये गये हैं। जहाँ भगवान श्री कृष्ण ब्रज संस्कृति के जनक कहे जाते हैं, वहाँ यमुना इसकी जननी मानी जाती है। इस प्रकार यह सच्चे अर्थों में ब्रजवासियों की माता है। अतः ब्रज में इसे यमुना मैया कहते है। ब्रह्म पुराण में यमुना के आध्यात्मिक स्वरुप का स्पष्टीकरण करते हुए विवरण प्रस्तुत किया है - "जो सृष्टि का आधार है और जिसे लक्ष्णों से सच्चिदनंद स्वरुप कहा जाता है, उपनिषदों ने जिसका ब्रह्म रूप से गायन किया है, वही परमतत्व साक्षात् यमुना है। गौड़िय विद्वान श्री रूप गोस्वामी ने यमुना को साक्षात् चिदानंदमयी बतलाया है। गर्ग संहिता में यमुना के पचांग - 1.पटल, 2. पद्धति, 3. कवय, 4. स्तोत्र और 5. सहस्त्र नाम का उल्लेख है।
भुवनभास्कर सूर्य इसके पिता, मृत्यु के देवता यम इसके भाई और भगवान श्री कृष्ण इसके परि स्वीकार्य किये गये हैं। जहाँ भगवान श्री कृष्ण ब्रज संस्कृति के जनक कहे जाते हैं, वहाँ यमुना इसकी जननी मानी जाती है। इस प्रकार यह सच्चे अर्थों में ब्रजवासियों की माता है। अतः ब्रज में इसे यमुना मैया कहते है। ब्रह्म पुराण में यमुना के आध्यात्मिक स्वरुप का स्पष्टीकरण करते हुए विवरण प्रस्तुत किया है - "जो सृष्टि का आधार है और जिसे लक्ष्णों से सच्चिदनंद स्वरुप कहा जाता है, उपनिषदों ने जिसका ब्रह्म रूप से गायन किया है, वही परमतत्व साक्षात् यमुना है। गौड़िय विद्वान श्री रूप गोस्वामी ने यमुना को साक्षात् चिदानंदमयी बतलाया है। गर्ग संहिता में यमुना के पचांग - 1.पटल, 2. पद्धति, 3. कवय, 4. स्तोत्र और 5. सहस्त्र नाम का उल्लेख है।
प्रवाह क्षेत्र
पश्चिमी हिमालय से निकल कर उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा की सीमा के सहारे 95 मील का सफर कर उत्तरी सहारनपुर (मैदानी इलाका) पहुँचती है। फिर यह दिल्ली, आगरा से होती हुई इलाहाबाद में गंगा नदी में मिल जाती है।
यमुना नदी की औसत गहराई 10 फीट (3 मीटर) और अधिकतम गहराई 35 फीट (11 मीटर) तक है। दिल्ली के निकट नदी में, यह अधिकतम गहराई 68 फीट (50 मीटर) है। आगरा में, यह गहराई 3 फुट (1 मीटर) तक हैं।
प्राचीन प्रवाह
मैदान में जहाँ इस समय यमुना का प्रवाह है, वहाँ वह सदा से प्रवाहित नहीं होती रही है। पौराणिक अनुश्रुतियों और ऐतिहासिक उल्लेखों से यह ज्ञात होता है, यद्यपि यमुना पिछले हजारों वर्षों से विधमान है, तथापि इसका प्रवाह समय-समय पर परिवर्तित होता रहा है। अपने सुधीर्ध जीवन काल में इसने जितने स्थान बदले हैं, उनमें से बहुत कम की ही जानकारी प्राप्त हो सकी है।
मैदान में जहाँ इस समय यमुना का प्रवाह है, वहाँ वह सदा से प्रवाहित नहीं होती रही है। पौराणिक अनुश्रुतियों और ऐतिहासिक उल्लेखों से यह ज्ञात होता है, यद्यपि यमुना पिछले हजारों वर्षों से विधमान है, तथापि इसका प्रवाह समय-समय पर परिवर्तित होता रहा है। अपने सुधीर्ध जीवन काल में इसने जितने स्थान बदले हैं, उनमें से बहुत कम की ही जानकारी प्राप्त हो सकी है।
आधुनिक प्रवाह
वर्तमान समय में सहारनपुर जिले के फैजाबाद गाँव के निकट मैदान में आने पर यह आगे ६५ मील तक बढ़ती हुई हरियाणा के अम्बाला और करनाल जिलों को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और मुजफ्फरनगर जिलों से अलग करती है। इस भू-भाग में इसमें मस्कर्रा, कठ, हिंडन और सबी नामक नदियाँ मिलती हैं, जिनके कारण इसका आकार बहुत बढ़ जाता है। मैदान में आते ही इससे पूर्वी यमुना नहर और पश्चिमी नहर निकाली जाती हैं। ये दोनों नहरें यमुना से पानी लेकर इस भू-भाग की सैकड़ों मील धरती को हरा-भरा और उपज सम्पन्न बना देती हैं।
सांस्कृतिक महत्व
भारतवर्ष की सर्वाधिक पवित्र और प्राचीन नदियों में यमुना की गणना गंगा के साथ की जाती है। यमुना और गंगा के दो आब की पुण्यभूमि में ही आर्यों की पुरातन संस्कृति का गौरवशाली रूप बन सका था। ब्रजमंडल की तो यमुना एक मात्र महत्वपूर्ण नदी है। जहाँ तक ब्रज संस्कृति का संबध है, यमुना को केवल नदी कहना ही पर्याप्त नहीं है। वस्तुतः यह ब्रज संस्कृति की सहायक, इसकी दीर्ध कालीन परम्परा की प्रेरक और यहाँ की धार्मिक भावना की प्रमुख आधार रही है।