शेरशाह - 1540 में शेरशाह ने हुमायुँ को बिलग्राम के युद्ध में हराते हुए सूर वंश की स्थापना की। उसने पूर्व में 1539 में चौसा के युद्ध में भी हुमायुँ को परास्त किया था। - इसका वास्तविक नाम फरीद था एवं इसके पिता जौनपुर के एक मामूली जागीरदार थे। - एक शेर का वध करने पर इसका नाम शेर खाँ पड़ा। - 1527-28 में यह बाबर की सेवा में चला गया एवं एक छोटे राजा जलाल खाँ लोहानी के संरक्षकर्ता एवं गवर्नर के रूप में बिहार लौटा। 1530 में इसने सिंहासन पर अधिकार कर लिया एवं हज़रत – ए - आला की उपाधि धारण की। - शेरशाह ने केवल पाँच वर्ष शासन किया। - 1545 में कलिंजर युद्ध के दौरान बारूद फटने से इसकी मृत्यु हो गई। इस्लाम शाह - शेरशाह के बाद उसका द्वितीय पुत्र इस्लाम शाह सिंहासन पर बैठा एवं उसने 1553 तक शासन किया। - इस्लाम शाह की कम उम्र में मृत्यु होने से उत्तराधिकारियों के मध्य जंग तेज़ हो गई। - अत : इस समय हुमायुँ को
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