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सुवर्णरेखा नदी

सुवर्णरेखा नदी
सुवर्णरेखा या स्वर्णरेखा भारत के झारखंड प्रदेश में बहने वाली एक पहाड़ी नदी है।
प्राचीन काल में इस सम्मिलित नदी ने राजपूताना के अनेक स्थलों को जलसिक्त कर दिया था। यह भी कहा जाता है कि प्रयाग के निकट तक आकार यह गंगा तथा यमुना में मिलकर त्रिवेणी बन गई थी। कालांतर में यह इन सब स्थानों से तिरोहित हो गई, फिर भी लोगों की धारणा है कि प्रयाग में वह अब भी अंत:सलिला होकर बहती है। मनुसंहिता से स्पष्ट है कि सरस्वती और दृषद्वती के बीच का भूभाग ही ब्रह्मावर्त कहलाता था।
यह राँची नगर से 16 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित नगड़ी गाँव में रानी चुआं नामक स्थान से निकलती है और उत्तर पूर्व की ओर बढ़ती हुई मुख्य पठार को छोड़कर प्रपात के रूप में गिरती है। इस प्रपात (झरना) को हुन्डरु जलप्रपात कहते हैं। प्रपात के रूप में गिरने के बाद नदी का बहाव पूर्व की ओर हो जाता है और मानभूम जिले के तीन संगम बिंदुओं के आगे यह दक्षिण पूर्व की ओर मुड़कर सिंहभूम में बहती हुई उत्तर पश्चिम से मिदनापुर जिले में प्रविष्टि होती है। इस जिले के पश्चिमी भूभाग के जंगलों में बहती हुई बालेश्वर जिले में पहुँचती है। यह पूर्व पश्चिम की ओर टेढ़ी-मेढ़ी बहती हुई बालेश्वर नामक स्थान पर बंगाल की खाड़ी में गिरती है। इस नदी की कुल लंबाई 474 किलोमीटर है और लगभग 28928 वर्ग किलोमीटर का जल निकास इसके द्वारा होता है। इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ काँची एवं कर्कारी हैं। भारत का प्रसिद्ध एवं पहला लोहे तथा इस्पात का कारखाना इसके किनारे स्थापित हुआ। कारखाने के संस्थापक जमशेद जी टाटा के नाम पर बसा यहाँ का नगर जमशेदपुर या टाटानगर कहा जाता है। अपने मुहाने से ऊपर की ओर यह 16 मील तक देशी नावों के लिए नौगम्य है।

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Western painting पश्चिमी चित्रकला

पश्चिमी चित्रकला परिचय 27000-13000 ई . पू . में दक्षिण - पश्चिम यूरोप में गुफा कला के द्वारा तत्कालीन मानव ने अपने जीवन का चित्रण किया। अफ्रीकी कला , इस्लामिक कला , भारतीय कला , चीनी कला और जापानी कला - इन सभी का पूरा प्रभाव पश्चिमी चित्रकला पर पड़ा है। प्राचीन रोमन व ग्रीक चित्रकला प्राचीन ग्रीक संस्कृति विजुअल कला के क्षेत्र में अपने आसाधारण योगदान के लिए विख्यात है। प्राचीन ग्रीक चित्रकारी मुख्यतया अलंकृत पात्रों के रूप में मिली है। प्लिनी द एल्डर के अनुसार इन पात्रों की चित्रकारी इतनी यथार्थ थी कि पक्षी उन पर चित्रित अंगूरों को सही समझ कर खाने की कोशिश करते थे। रोमन चित्रकारी काफी हद तक ग्रीक चित्रकारी से प्रभावित थी। लेकिन रोमन चित्रकारी की कोई अपनी विशेषता नहीं है। रोमन भित्ति चित्र आज भी दक्षिणी इटली में देखे जा सकते हैं। मध्‍यकालीन शैली बाइजेंटाइन काल (330-1453 ई .) के दौरान बाइजेंटाइन कला ने रुढि़वादी ईसाई मूल्यों को व्यवहारिक या

International agricultural research institute अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान संस्थान

अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान संस्थान संक्षिप्त - पूरा नाम - स्थान - देश - स्थापना वर्ष - सम्बंधित फसल 1. CIP - इंटरनेशनल पोटैटो सेंटर - International Potato Center - लीमा - पेरू - 1971 - आलू 2. ICARDA - इंटरनेशनल सेंटर फॉर एग्रिकल्चर रिसर्च इन द ड्राइ एरीयाज़ - International Center for Agriculture Research in the Dry Areas - अलेप्पो - सीरिया - 1976 - गेंहू , जौ , मसूर 3. ICGEB - इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजिनियरिंग एंड बायोटेक्नोलाजी - International Centre for Genetic Engineering and Biotechnology - ट्रिएस्ते , नई दिल्ली - इटली , भारत - 1994 - आनुवंशिकता एवं जैव प्रौद्योगिकी 4. ICRISAT - इंटरनेशनल क्रॉप रिसर्च फॉर सेमी एरिड ट्रॉपिक्स - International crop research for semi arid tropics - पाटनचेरू , हैदराबाद - तेलंगाना , भारत - 1972 - ज्वार , बाजरा , चना , मूंगफली , अरहर 5. IFPRI - इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इन्स्टिट्यूट - International Food Policy Research Institute - वाशिंगटन डी . सी . - अमेरिका - 1975