भारत में मुद्रा और वित्त बाजार के साधन
कॉल/ नोटिस मनी मार्केट
कॉल/
नोटिस मनी वह पैसा
है जो एक लघु अवधि के लिए उधार
दिया या लिया जाता
है। जब पैसा एक दिन के लिए उधार
दिया या लिया जाता
है तो इसे कॉल
(ओवरनाइट) मनी के रूप में जाना
जाता है, इस तरह के पैसे
को एक दिन के लिए उधार
लिया जाता
है और अगले कार्यदिवस (छुट्टियों की संख्या की परवाह किए बगैर) पर चुकता कर दिया जाता
है, इसे
""कॉल मनी""
कहा जाता
है। जब पैसा 1 या उससे अधिक
अथवा 14 दिनों
से ज्यादा
समय के लिए उधार
लिया जाता
है तो इसे ""नोटिस मनी"" कहा जाता है। इस तरह के लेनदेन
के लिए किसी प्रकार
की सुरक्षा
की आवश्यकता नहीं होती
है।
इंटर बैंक टर्म मनी
14 दिनों से अधिक की अवधि की परिपक्व जमा राशि के लिए अंतर-बैंक बाजार
को मुद्रा
बाजार (Money Market) के रूप में जाना जाता
है। इसके
लिए वहीं
नियम लागू
होते हैं है जो कॉल/नोटिस
मनी के लिए होते
हैं, सिवाय
कि मौजूदा
नियम जिसमें
निर्दिष्ट संस्थाओं को 14 दिनों
से अधिक
की अवधि
के लिए उधार देने
के लिए अनुमति नहीं
होती है।
ट्रेजरी बिल्स
भारत में ट्रेज़री बिल्स
की शुरुआत
1917 में पहली
बार की गयी थी । लघु अवधि के लिए (एक वर्ष तक) केंद्र सरकार
द्वारा उधार
लेने के साधनों को ट्रेजरी बिल्स
कहा जाता
है। सरकार
इसी के माध्यम से उधार लेती
है । ये सर्वाधिक तरल प्रतिभूतियां होती हैं । इनका
निर्गमन रिज़र्व
बैंक के द्वारा सरकार
के लिए किया जाता
है। यह सरकार द्वारा
किया गया एक वादा
है जिसमें
जारी होने
की तिथि
के एक वर्ष से कम अवधि
के भीतर
राशि का भुगतान करना
होता है। इन्हें अंकित
मूल्य के लिए एक छूट के तहत जारी
किया जाता
है
जमा राशियो का प्रमाण पत्र
- जमाराशि के प्रमाणपत्र (सीडी)
एक विनिमेय
मुद्रा बाजार
साधन है। यह डीमैट
के रूप या एक बैंक में जमा राशि
के लिए एक प्रमाणपत्र के रुप में या एक निर्धारित समय अवधि
के लिए किसी अन्य
वित्तीय संस्थान
द्वारा जारी
किया गया एक वचनबद्ध
प्रमाणपत्र होता
है।
- वर्तमान में सीडी जारी
करने के लिए दिशा-निर्देशों का नियंत्रण भारतीय
रिजर्व बैंक
द्वारा किया
जाता है जिसमें समय
-समय पर संशोधन भी किया जाता
है। सीडी
को निम्न
संस्थान जारी
कर सकते
हैं - (I) निर्धारित क्षेत्रीय ग्रामीण
बैंकों (आरआरबी)
को छोड़कर
वाणिज्यिक बैंक
और स्थानीय
क्षेत्रीय बैंक
(एलएबी); (ii) तथा अखिल भारतीय
वित्तीय संस्थान
जिन्हें भारतीय
रिजर्व बैंक
द्वारा यह अनुमति प्रदान
होती है कि वे एक लघु अवधि के भीतर भारतीय
रिजर्व बैंक
द्वारा तय नीतियों के तहत संसाधन
जुटाएं। बैंकों
को अपनी
आवश्यकताओं के आधार पर सीडी जारी
करने की स्वतंत्रता है। एक वित्तीय
संस्थान (एफआई)
कुल मिलाकर
भारतीय रिजर्व
बैंक द्वारा
तय निर्देशों के आधार
पर सीडी
जारी कर सकता है। इसे 1989 में शुरू किया
गया था।
वाणिज्यिक पत्र
- इसे मूलतः
वाघुल समिति
की संस्तुति पर मार्च
1989 को शुरू
किया गया था। C.P. एक प्रतिज्ञा पत्र
युक्त अल्प
अवधि का प्रपत्र है जिसकी अवधि
7 से 90 दिन की होती
है । सीपी की न्यूनतम परिपक्वता अवधि 7 दिनों
की होती
है। इसका
निर्गमन बट्टा
आधार पर होता है । सीपी
साफ तौर पर एक समर्थन करने
और वितरण
से संबंधित
समझौता है।
- एक कंपनी
जो सी.पी. जारी
करने के लिए पात्र
होगी- (क) कंपनी का कुल मूल्य,
नवीनतम आडिटे
की बैलेंस
शीट के अनुसार 4 करोड़
रुपये से कम नहीं
होनी चाहिए
(ख) बैंकिग
प्रणाली में कंपनी की कार्यशील पूंजी
(निधि आधारित)
की सीमा
4 करोड़ रुपये
से कम नहीं होनी
चाहिए और (ग) कंपनी
के ऋण खाते को वित्तपोषण बैंक/
बैंको द्वारा
तय एक मानक परिसंपत्ति के रूप में वर्गीकृत किया गया है। न्यूनतम
क्रेडिट रेटिंग
क्रिसिल द्वारा
पी -2 या अन्य एजेंसियों द्वारा तय इसी प्रकार
की रेंटिंग
होनी चाहिए।
पूंजी बाजार साधन
पूंजी बाजार
में आम तौर पर निम्नलिखित दीर्घकालिक अवधि होती
है, जैसे-
एक वर्ष
से अधिक
की अवधि,
वित्तीय साधनों;
इक्विटी खंड में इक्विटी
शेयर, प्रमुख
शेयर, परिवर्तनीय मुख्य शेयर,
गैर-परिवर्तनीय प्रमुख शेयर
और ऋण खंड डिबेंचर,
जीरो कूपन
बांड, भीरी
डिस्काउंट बांड
आदि ।
हाइब्रिड साधन
हाइब्रिड साधनों
में इक्विटी
और डिबेंचर,
दोनों विशेषताएं होती हैं।
इस तरह के साधन
को हाईब्रिड साधन कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर, परिवर्तनीय डिबेंचर,
वारंट आदि।
भारतीय वित्तीय प्रणाली के घटक
वित्तीय संस्थान
यह निवेशकों और बचत कर्ताओं को मिलाकर वित्तीय
प्रणाली को गतिमान बनाये
रखते हैं।
इस संस्थानों का मुख्य
कार्य बचत कर्ताओं से मुद्रा इकठ्ठा
करके उन निवेशकों को उधार देना
है जो कि उस मुद्रा को बाजार में निवेश कर लाभ कमाना
चाहते है अतः ये वित्तीय संस्थान
उधार देने
वालों और उधार लेने
वालों के बीच मध्यस्थ
की भूमिका
निभाते हैं
I इस संस्थानों के उदहारण
हैं :- बैंक,
गैर बैंकिंग
वित्तीय संस्थान,
स्वयं सहायता
समूह, मर्चेंट
बैंकर इत्यादि
हैं I
वित्तीय बाजार
एक वित्तीय
बाजार को एक ऐसे बाजार के रुप में परिभाषित किया
जा सकता
है जहां
वित्तीय परिसंपत्तियों का निर्माण या हस्तानान्तरण होता
है। इस प्रकार के बाजार में मुद्रा को उधार देना
या लेना
और एक निश्चित अवधि
के बाद उस ब्याज
देना या लेना शामिल
होता है I
इस प्रकार
के बाजार
में विनिमय
पत्र, एडहोक
ट्रेज़री बिल्स,
जमा प्रमाण
पत्र, म्यूच्यूअल फण्ड और वाणिज्यिक पत्र
इत्यादि लेन देन किया
जाता है I
मुद्रा बाजार
- मुद्रा बाजार
भारतीय वित्तीय
प्रणाली का एक महत्वपूर्ण अंग है । यह सामान्यतः एक वर्ष से कम अवधि
के फण्ड
तथा ऐसी वित्तीय संपत्तियों, जो मुद्रा
की नजदीकी
स्थानापन्न है, के क्रय
और विक्रय
के लिए बाजार है । मुद्रा
बाजार वह माध्यम है जिसके द्वारा
रिज़र्व बैंक
अर्थव्यवस्था में तरलता की मात्रा नियंत्रित करता है ।
- इस तरह के बाजारों
में ज्यादातर सरकारी बैंकों
और वित्तीय
संस्थानों का दबदबा रहता
है। इस बाजार में कम जोखिम
वाले, अत्यधिक
तरल, लघु अवधि के साधनों वित्तीय
साधनों का लेन देन होता है।
पूंजी बाजार
पूंजी बाजार
को लंबी
अवधि के वित्तपोषण के लिए बनाया
गया है। इस बाजार
में लेन-देन एक वर्ष से अधिक की अवधि के लिए किया
जाता है।
विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार
विदेशी मुद्रा
विनिमय बाजार
बहु-मुद्रा
आवश्यकताओं से संबंधित होता
है। जहां
पर मुद्राओं का विनिमय
होता है। विनिमय दर पर निर्भरता, बाजार में हो रहे धन के हस्तांतरण पर निर्भर रहती
है। यह दुनिया भर में सबसे
अधिक विकसित
और एकीकृत
बाजारों में से एक है।
ऋण बाजार
क्रेडिट मार्केट
एक ऐसा स्थान है जहां बैंक,
वित्तीय संस्थान
(FI) और गैर बैंक वित्तीय
संस्थाएं NBFCs) कॉर्पोरेट और आम लोगों को लघु, मध्यम
और लंबी
अवधि के ऋण प्रदान
किये जाते
हैं।