Indian Politics, Fundamental Rights (Part 3, Article 12 to 32) भारतीय राजव्यवस्था , मौलिक अधिकार (भाग 3 , अनुच्छेद 12 से 32 )
मौलिक अधिकार (भाग 3 , अनुच्छेद 12 से 32 )
मौलिक अधिकारो का विभाजन
1. परिचय
मूलरूप से संविधान में 7 मौलिक अधिकार दिये दिये गये है
» समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 – 18)
» स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 – 22)
» शोषण के विरूद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 – 24)
» धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28)
» सांस्कृतिक व शैक्षणिक अधिकार (अनुच्छेद 29 और 30)
» संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)
» सम्पति का अधिकार (अनुच्छेद 31)
- 44 वें संविधान संशोधन 1978 से सम्पति के अधिकार को मौलिक अधिकारों की सूची से हटा दिया गया है, इसे अनुच्छेद 300 – A, भाग XII में, एक कानूनी अधिकार बना दिया गया है।
अत: अब केवल 6 मौलिक अधिकार है।
2. समानता का अधिकार
अनुच्छेद 14 - कानुन के समक्ष समानता
अनुच्छेद 15 - धार्मिक, जाति, मूल, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव निषेध
अनुच्छेद 16 - सार्वजनिक रोजगार के मामले में अवसर की समानता
अनुच्छेद 17 - छुआछुत को हटाना
अनुच्छेद 18 - उपाधियों का अंत
3. स्वतंत्रता का
अधिकार
अनुच्छेद 19 - सभी नागरिकों को 6 अधिकारो की स्वतंत्रता दी गयी है
» भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार
» शांतिपूर्ण एवं बिना हथियारों के इकट्ठा होने का अधिकार
» युनियन व एसोसिएशन बनाने का अधिकार
» भारत के क्षेत्राधिकार में स्वतंत्रता से घुमने का अधिकार
» भारत के किसी भी हिस्से में रहने व वहाँ बसने का अधिकार
» किसी पेशे का अभ्यास करने, कोई भी व्यवसाय, व्यापार करने का अधिकार
अनुच्छेद 20 - अपराध के लिए दोषी पाये जाने पर संरक्षण का अधिकार
अनुच्छेद 21 - व्यक्तिगत स्वतंत्रता और जीवन सुरक्षा का अधिकार
अनुच्छेद 22 - गिरफ्तारी और कुछ मामलों में हिरासत में लिए जाने के खिलाफ संरक्षण का अधिकार
4. शोषण के विरुद्ध अधिकार
अनुच्छेद 23 - मानव क्षेत्र में यातायात का निषेध और बंधुआ मजदुरी का निषेध
अनुच्छेद 24 - 14 वर्ष तक के बच्चों को फैक्ट्रीयों और खानों में रोजगार पर रखने पर प्रतिबंध
5. धार्मिक स्वतंत्रता
का अधिकार
अनुच्छेद 25 - स्वतंत्र पेशा, अभ्यास और धर्म को बढ़ाने की अन्तश्रचेतना के साथ स्वतंत्रता
अनुच्छेद 26 - धार्मिक प्रसंग का प्रबंधन करने की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 27 - किसी धर्म विशेष को बढ़ावा देने के लिए करों का भूगतान करने की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 28 - धार्मिक शिक्षा में भाग लेने की अनिवार्यता से मूक्ति
6. सांस्कृतिक व
शैक्षणिक अधिकार
अनुच्छेद - 29 अल्पसंख्यकों की संस्कृति का संरक्षण
अनुच्छेद - 30 अल्पसंख्यकों के अधिकार तथा उनके लिए शिक्षा संस्थानो को प्रशासित करना।
7. संवैधानिक उपचारों
का अधिकार
अनुच्छेद - 32 भारतीय संविधान की आत्मा
मौलिक अधिकार
लेख
भारत के नागरिकों की रक्षा हेतु सर्वोच्च न्यायालय व उच्च – न्यायालय पांच प्रकार के लेख जारी करते है।
1. बंदी प्रत्यक्षीकरण लेख - इसका मतलब है कि शरीर के साथ मतलब किसी व्यक्ति को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करे। इसे किसी राज्य व निजी व्यक्ति / संस्था के विरूद्ध भी इस्तमाल किया जा सकता है।
2. परमादेश लेख - इसका मतलब है कि “हम आदेश देते है” यह किसी व्यक्ति / सार्वजनिक संस्था जो अपने कर्त्तव्य का पालन ठीक से नहीं करे के विरूद्ध जारी किया जा सकता है।
3. प्रतिषेध लेख - यह लेख सर्वोच्च / उच्च न्यायालय द्वारा अधीनस्थ न्यायालय को तब दिया जाता है जब वह अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर सुनवाई कर रहा हो।
4. उत्प्रेषण लेख - यह लेख उच्च अदालत द्वारा आधीन अदालत के विरूद्ध उस समय जारी किया जाता है जब वह अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन करता है अथवा कानून की प्रक्रिया का समुचित पालन नहीं करता है।
5. अधिकार पृच्छा - यह लेख न्यायालय द्वारा ऐसे व्यक्ति के विरूद्ध जारी किया जाता है जिसे कानून के विरूद्ध अधिकार प्राप्त है।
मौलिक अधिकारों मे सशोधन
» शंकरी प्रसाद v/s केन्द्र सरकार (1952) तथा सज्जन सिंह बनाम राजस्थान (1965) केसों में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संसद अपनी अनुच्छेद 368 की शक्तियों का उपयोग करते हुए मौलिक अधिकारों में संशोधन कर सकती है।
» गोलकनाथ बनाम पंजाब (1967) केस में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौलिक अधिकारों को संविधान में विशेष स्थान प्राप्त है अत: इनमें संशोधन नहीं किया जा सकता है।
» केश्वानंद भारती बनाम केरल राज्य के केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संसद संविधान के किसी भी प्रावधान को संशोधित कर सकती है लेकिन संविधान का मूलभूत संरचना (बनावट) परिवर्तित नहीं होनी चाहिए।
» 42 वे संविधान के अनुसार संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन कर सकती है और न्यायतंत्र इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता।
» मिनर्वा मील केस (1980) में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के मूलभूत ढ़ाचे का न्यायिक पुर्नवलोकन करते हुए कहा कि मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं किया जा सकता।
» वर्तमान में मौलिक अधिकारों में परिवर्तन किया जा सकता है लेकिन संविधान का मुलभुत ढ़ाचा परिवर्तित नहीं होना चाहिए।