Skip to main content

Celestial body आकाशीय पिंड


 आकाशीय पिंड
- आकाश गंगा या मन्दाकिनी तारों का एक विशाल पुंज है। अन्तरिक्ष में 10000 मिलियन (1010) आकाश गंगायें हैं। प्रत्येक आकाश गंगा में 100000 मिलियन (1011) तारे हैं। तारों के अतिरिक्त आकाश गंगा में धूल और गैस पाई जाती है।

- निहारिका अत्यधिक प्रकाशमान आकाशीय पिंड है, जो गैस और धुल के कणों से मिलकर बना है।

- तारामंडल तारों का एक समूह है, इस समय 89 तरमंदलों की पहचान की गयी है। इसमें हाइड्रा सबसे बड़ा है, जैसे ग्रेट बियर, काल पुरुष आदि तारामंडल हैं।

- बारह तारामंडलों किपत्ति को राशी चक्र कहते हैं।

- क्वासर आकाशीय पिंड हैं, जो गैस और धूल के कणों से मिलकर बना होता है, परन्तु उर्जा का उत्सर्जन अधिक मात्रा में करते हैं।

- पुच्छल तारे या धूमकेतु आकाशीय धूल बर्फ और हिमानी गैसों के पिंड हैं, जो सूर्य के चरों ओर लम्बी किन्तु अनियमित कक्षा में घूमते हैं। 1986 में हैली पुच्चाल तारा 76.3 वर्षों के अन्तराल के बाद सूर्य के निकट बिना दूरदर्शी यंत्र के देखा गया।

तारे

- तारों का निर्माण आकाश गंगा में गैस के बादलों से होता है। तारों से निरंतर उर्जा का उत्सर्जन होता है।

- गैलेक्सी का 98 प्रतिशत भाग तारों से निर्मित है। ये गैसीय द्रव्य के उष्ण एवं दीप्तिमान ब्रह्माण्ड में स्थित खगोलीय पिंड हैं।

- सूर्य भी तारा है, जो पृथ्वी के निकटतम है।

- वामन वे तारे हैं जिनकी ज्योत्सना सूर्य से कम है।

- विशाल तारों की ज्योत्सना सूर्य से अधिक है, जैसे-बेटेलगीज, सिरियस, अंतारिस।

- नोवा वह तारा है जिसकी चमक गैस के निष्कासित होने से 10-20% तक बढ़ जाती है।

- सुपरनोवा तारा 20 से अधिक चमकने वाला है। पृथ्वी से देखा जाने वाला सबसे अधिक चमकीला तारा क्रेस डांग तारा है।

- ब्लैक होल बन्ने का कारन तारों की उर्जा का समाप्त हो जाना है। प्रत्येक तारा लगातार उर्जा का बड़ी मात्र में उत्सर्जन करता रहता है और निरंतर सिकुड़ता जाता है। जिसके कारण गुरुत्वाकर्षण बढ़ता जाता है। इस उर्जा उत्सर्जन के कारण एक अंत समय आता है जब उर्जा रुक जाती है और तारों का वहन रुक जाता है।

- तारों या गैलेक्सी की गति से उसके प्रकाश में परिवर्तन दिखायी देता है यदि तारा प्रेक्षक की तरफ रहा होता है तो, उसका प्रकाश स्पेक्ट्रम नील किनारे की तरफ चलेगा, किन्तु यदि तारा प्रेक्षक से दूर जा रहा हो तो उसका प्रकाश स्पेक्ट्रम के साथ किनारे की तरफ खिसक जायेगा। इसे डॉलर प्रभाव कहते है।

- यदि तारे का भर सूर्य के बराबर होता है तो यह धीरे-धीरे ठंडा होकर पहले गोले मा बदलता है फिर और ठंडा होकर अंत में एक श्वेत छोटे पिंड में बदल जाता है। कुछ समय पश्चात् यह छोटा पिंड अपने ऊपर गिरने वाले प्रकाश को अवशोषित करने लगता है। तब वह आंखों से ना दिखने वाले ब्लैक होल में बदल जाता है।


Popular posts from this blog

Purpose of computer , कंप्यूटर का उद्देश्य

              कंप्यूटर का उद्देश्य   Purpose of computer आज के युग में कंप्यूटर का महत्व बहुत ही अधिक बढ़ गया है । जीवन के हर क्षेत्र में आज किसी न किसी रूप में कंप्यूटर का उपयोग हो रहा है ।   इसी आधार पर कंप्यूटर के उद्देश्य निम्नलिखित है - 1. कंप्यूटर की सहायता से विभिन्न प्रकार के अकाउंट केश बुक , लेजर ,   बैलेंस शीट , सेल्स रजिस्टर , परचेज बुक तथा बैंक विवरण सहजता व शुद्धता एवं गति के साथ तैयार की जा सकती है । 2. विश्व व्यापार , आयात निर्यात की स्थित ,, भुगतान संतुलन आदि के क्षेत्र में भी कंप्यूटर बड़े उपयोगी साबित हो रहे है। 3. चिकित्सा विज्ञान में कंप्यूटर का प्रयोग औषधि निर्माण से लेकर उपचार तक की संपूर्ण प्रक्रिया में हो रहा है। 4.   इंजीनियरिंग के क्षेत्र में कंप्यूटर की मदद से विभिन्न प्रकार की सरल तथा जटिल मशीनों , छोटे बड़े यंत्रों तथा उपकरणों की उपयोगी मितव्यई तथा सरल डिजाइन सरलता से उपलब्ध हो जाती है , । 5. कंप्यूटर का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य ,   समाचारों का एक लंबी द...

Western painting पश्चिमी चित्रकला

पश्चिमी चित्रकला परिचय 27000-13000 ई . पू . में दक्षिण - पश्चिम यूरोप में गुफा कला के द्वारा तत्कालीन मानव ने अपने जीवन का चित्रण किया। अफ्रीकी कला , इस्लामिक कला , भारतीय कला , चीनी कला और जापानी कला - इन सभी का पूरा प्रभाव पश्चिमी चित्रकला पर पड़ा है। प्राचीन रोमन व ग्रीक चित्रकला प्राचीन ग्रीक संस्कृति विजुअल कला के क्षेत्र में अपने आसाधारण योगदान के लिए विख्यात है। प्राचीन ग्रीक चित्रकारी मुख्यतया अलंकृत पात्रों के रूप में मिली है। प्लिनी द एल्डर के अनुसार इन पात्रों की चित्रकारी इतनी यथार्थ थी कि पक्षी उन पर चित्रित अंगूरों को सही समझ कर खाने की कोशिश करते थे। रोमन चित्रकारी काफी हद तक ग्रीक चित्रकारी से प्रभावित थी। लेकिन रोमन चित्रकारी की कोई अपनी विशेषता नहीं है। रोमन भित्ति चित्र आज भी दक्षिणी इटली में देखे जा सकते हैं। मध्‍यकालीन शैली बाइजेंटाइन काल (330-1453 ई .) के दौरान बाइजेंटाइन कला ने रुढि़वादी ईसाई मूल्यों को व्यवहारिक या...

vyas river ब्यास नदी

ब्यास नदी लम्बाई -470 जलसम्भर क्षेत्र -20.303 ब्यास पंजाब (भारत) हिमाचल में बहने वाली एक प्रमुख नदी है। नदी की लम्बाई 470 किलोमीटर है। पंजाब (भारत) की पांच प्रमुख नदियों में से एक है। इसका उल्लेख ऋग्वेद में केवल एक बार है। बृहद्देवता में शतुद्री या सतलुज और विपाशा का एक साथ उल्लेख है। इतिहास- ब्यास नदी का पुराना नाम ‘अर्जिकिया’ या ‘विपाशा’ था। यह कुल्लू में व्यास कुंड से निकलती है। व्यास कुंड पीर पंजाल पर्वत शृंखला में स्थित रोहतांग दर्रे में है। यह कुल्लू, मंडी, हमीरपुर और कांगड़ा में बहती है। कांगड़ा से मुरथल के पास पंजाब में चली जाती है। मनाली, कुल्लू, बजौरा, औट, पंडोह, मंडी, सुजानपुर टीहरा, नादौन और देहरा गोपीपुर इसके प्रमुख तटीय स्थान हैं। इसकी कुल लंबाई 460 कि॰मी॰ है। हिमाचल में इसकी लंबाई 260 कि॰मी॰ है। कुल्लू में पतलीकूहल, पार्वती, पिन, मलाणा-नाला, फोजल, सर्वरी और सैज इसकी सहायक नदियां हैं। कांगड़ा में सहायक नदियां बिनवा न्यूगल, गज और चक्की हैं। इस नदी का नाम महर्षि ब्यास के नाम पर रखा गया है। यह प्रदेश की जीवनदायिनी नदियों में से एक है। स्थिति इस नदी का उद्गम मध्य ह...