बादीपुर राष्ट्रीय उद्यान
1. यह चामराजनगर जिले के
गुंडलुपेट तालुका में है। यह मैसूर शहर से करीब 80 किलोमीटर (50 मील) दूर, प्रमुख पर्यटन स्थल ऊटी के
रास्ते में है।
2. शुरुआत में मैसूर साम्राज्य
के राजा ने 1931 में 90 वर्ग किमी (35 वर्ग मील) में एक अभयारण्य
बनवाया था और उसका नाम वेणुगोपाल वन्यजीव उद्यान रखा था।
3. वेणुगोपाल वन्यजीव उद्यान
में वर्ष 1973 में करीब 800 वर्ग किमी (310 वर्ग मील) को शामिल कर
प्रोजेक्ट टाइगर के तहत बांदीपुर टाइगर रिजर्व बनाया गया था।
4. यह करीब 874.2 वर्ग किमी के दायरे में
फैला है।
5. यह भारत का सबसे बड़ा
जीवमंडल रिजर्व (Biosphere Reserve) बनाता है जिसे 'नीलगिरी जीवमंडल रिजर्व' के नाम से जाना जाता है।
6. यह उद्यान 75° 12’ 17” पू से 76° 51’ 32” पू और 11° 35’ 34” उ से 11° 57’ 02” उ के बीच, जहां दक्कन का पठार पश्चिमी
घाट से मिलता है, में स्थित है।
7. इस उद्यान में शुष्क
पर्णपाती वन, नम पर्णपाती जंगल और झाड़ियों की कई प्रजातियां हैं।
8. उद्यान के उत्तर में काबिनी
नदी और दक्षिण में मोयर नदी है जबकि नुगु नदी उद्यान के बीच से गुजरती है।
9. यह गौर (एक प्रकार का बैल), सांभर, चीतल, पिसूरी (mouse deer), चार सींगों वाला काला हिरण, जंगली कुत्ते, जंगली सूअर,सियार, स्लोथ बीयर, तेंदुआ, मालाबार गिलहरी, साही और काले–रोएं वाले खरहे का
प्राकृतिक निवास स्थान है। जंगली मुर्गे और हरे कबूतर जैसे पक्षी भी यहां पाए जाते
हैं।
10. बांदीपुर में लकड़ी के
पेड़ों की अच्छी– खासी संख्या है। इसमें– शीशम (डलबर्गिया लातिफोलिया), विशाल बांसों का समूह, चंदन ( सैंटालम अल्बम वी), सागौन (टेकटोना ग्रांडिस), भारतीय– लॉरेल (टर्मिनालिया
टोमेनटोसा), विजयसार ( टेरोकारपस मारसुपियम), (डेंड्रोकालमस स्ट्रिकटस), क्लंपिंग बैंबू (बम्बुसा
अरुनडिनेसिया) और ग्रेविया टिलिएफोलिया शामिल है।