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Medieval History मध्‍यकालीन भारत , विजय नगर एवंं बहमनी सल्‍तनत - कृष्ण देव राय (1509 - 1529)


                        कृष्ण देव राय (1509 - 1529)

- कृष्ण देव राय, वीर नृसिंह का छोटा भाई था।

- वीर नृसिंह के मुख्य मंत्री सालुव तिम्मा ने वीर नृसिंह के दो सौतेले भाई एवं उसके छोटे पुत्र को बंदी बनाने के बाद कृष्णदेव राय को सिंहासन पर बैठा दिया।

- कृष्णदेव राय ने पुर्तगाली गवर्नर अल्बूकर्क के साथ मैत्रतापूर्ण व्यवहार रखा एवं उसे भटकल में एक किला बनाने की अनुमति दे दी।

- उसने विजय महल का निर्माण करवाया एवं हज़ाराराम मंदिर (हम्पी) एवं विट्ठल स्वामी मंदिर का विस्तार करवाया। उसने यवनराज स्थापनाचार्य (बहमनी राज्य का सुधारक) एवं अभिनव भोज (साहित्य का संरक्षक) की उपाधियाँ धारण की। इसे आंध्र-पितामह एवं आंध्र भोज के नाम से भी जाना जाता है।

- वह तेलुगु एवं संस्कृत दोनो भाषा का महान एवं बुद्धिमान दार्शनिक भी था।उसकी राजनीति से संबंधित तेलुगु भाषा की कृति अमुक्त माल्यद एवं संस्कृत नाटक जाम्बवती कल्याण है।वह तमिल, तेलुगु एवं कन्नड दार्शनिकों का आश्रयदाता भी था।

- उसका दरबार अष्ट-दिग्गज (आठ महान कवि) से सुसज्जित था। उनमें से तेनालीराम एक था।

- कृष्ण देव राय के बाद उसका सौतेला भाई अच्युत राय सिंहासन पर बैठा।

- विजयनगर साम्राज्य के विनाश के तुरंत बाद एक यात्री सीजर फ्रेडरिक विजयनगर यात्रा पर आया था।

- 1543 में सदाशिव राय सिंहासन पर बैठा एवं उसने 1567 तक शासन किया। राम राय उसका मुख्य नेता था।

- बीजापुर, गोलकुण्डा एवं अहमदनगर ने मिलकर विजयनगर साम्राज्य को बानीहट्टी (तालिकोट) में 1565 में हराया। इसे तालीकोट का युद्ध या राक्षस टांगडी का युद्ध भी कहा जाता है।

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