द्वितीय विश्वयुद्ध की पूर्व संध्या पर कांग्रेस की स्थिति
कांग्रेस युद्ध में ब्रिटेन को सहयोग करेगी यदि
- युद्धोपरांत भारत की स्वतंत्रता प्रदान कर दी जाये। तथा
- अतिशीघ्र, केंद्र में किसी प्रकार की वास्तविक एवं उत्तरदायी सरकार की स्थापना की जाये।
- 1 सितम्बर, 1939: द्वितीय विश्व युद्ध प्रारंभ तथा ब्रिटेन ने भारत के युद्ध में सम्मिलित होने की घोषणा की।
- 10-14 सितम्बर 1939: वर्धा में कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में- गांधीजी ने ब्रिटेन को बिना शर्त युद्ध में समर्थन देने की घोषणा की।
- सुभाषचंद्र बोस और समाजवादियों ने तर्क दिया कि स्थिति का लाभ उठाकर उपनिवेशी शासन के विरुद्ध आंदोलन प्रारंभ किया जाये तथा उसे अपदस्थ करने की कोशिश की जाये।
जवाहरलाल नेहरू ने युद्ध के साम्राज्यवादी स्वरूप को स्वीकार किया लेकिन वे युद्धरत ब्रिटेन की परेशानियों से लाभ उठाये जाने के पक्षधर नहीं थे। इसके साथ ही उन्होंने युद्ध में भारत की सहभागिता का भी विरोध किया। कांग्रेस कार्यकारिणी ने पारित प्रस्ताव में कहा-जब तब भारत की आजादी देने का वायदा नहीं किया जाता, भारत युद्ध में ब्रिटेन को सहयोग नहीं देगा; सरकार को शीघ्र ही युद्ध के उद्देश्यों को स्पष्ट करना चाहिए।
लिनलियगो की घोषणा 17 अक्टूबर 1940
- ब्रिटेन के युद्ध का उद्देश्य भेदभावपूर्ण अतिक्रमण को रोकना है।
- 1935 के भारत शासन अधिनियम में संशोधन के लिये सरकार शीघ्र ही भारत के राजनीतिक दलों, विभिन्न समुदायों तथा समूहों से विचार-विमर्श करेगी। आवश्यकता पड़ने पर परामर्श लेने के लिये सरकार एक परामर्श समिति का गठन भी करेगी।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
- युद्ध में भारत का समर्थन नहीं।
- प्रांतीय कांग्रेस सरकारों द्वारा त्यागपत्र।
- लेकिन अभी (शीघ्र ही) कोई जन-आंदोलन प्रारंभ नहीं किया जायेगा।
मार्च 1940
मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवेशन में पाकिस्तान प्रस्ताव पारित किया गया।
अगस्त प्रस्ताव अगस्त 1940
- भारत के लिये डोमिनियन स्टेट्स मुख्य लक्ष्य।
- युद्ध के पश्चात संविधान सभा गठित की जायेगी, जिसमें मुख्यतः भारतीय होंगे।
- भविष्य की किसी भी योजना के लिये अल्पसंख्यकों की सहमति आवश्यक है।
- कांग्रेस ने अगस्त प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया।
अक्टूबर 1940
- कांग्रेस ने व्यक्तिगत सत्याग्रह प्रारंभ किया।
- लगभग 25 हजार सत्याग्रही जेल भेजे गये।
मार्च 1942
लगभग सम्पूर्ण दक्षिण-पूर्व एशिया को विजित करते हुये जापानी सेनायें रंगून तक पहुंच गयीं।
क्रिप्स मिशन मार्च 1942
इसने प्रस्ताव किया कि
- डोमिनियन स्टेट्स के साथ भारतीय संघ की स्थापना; इसे राष्ट्रमंडल से पृथक होने का अधिकार होगा।
- युद्ध के पश्चात प्रांतीय विधानसभाओं द्वारा संविधान सभा, के सदस्यों का चुनाव किया जायेगा; यह संविधान सभा, संविधान का प्रारूप तैयार करेगी। यदि कोई प्रांत, संघ में सम्मिलित होना न चाहे तो ब्रिटेन उससे पृथक से समझौता करेगा।
- इस दौरान भारत की सुरक्षा का दायित्व ब्रिटेन के हाथों में होगा। कांग्रेस ने निम्न प्रावधानों पर आपति की।
- डोमिनियन स्टेट्स
- प्रांतों को संघ से पृथकता का अधिकार।
- गवर्नर-जनरल की सर्वोच्चता बनाये रखने का प्रावधान।
मुस्लिम लीग ने निम्न प्रावधानों पर आपत्ति की
- स्पष्ट रूप से पाकिस्तान के निर्माण की बात का न होना।
- संविधान सभा के गठन की प्रक्रिया।
भारत छोड़ो आंदोलन आंदोलन क्यों प्रारंभ किया गया
- क्रिप्स मिशन के प्रस्तावों में भारतीय मांगों को पूरा करने के लिये सरकारी इच्छाशक्ति का अभाव।
- युद्ध के समय उत्पन्न कठिनाइयों से उपजा जन-असंतोष
- ब्रिटेन की अपराजेयता का भ्रम टूटना।
- संभावित जापानी आक्रमण के मद्देनजर, भारतीय नेताओं की जनता को तैयार करने की अभिलाषा।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक मुंबई 8 अगस्त 1942
- बैठक में भारत छोड़ो प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया।
- 9 अगस्त, 1942 सभी प्रमुख कांग्रेसी नेता गिरफ्तार कर लिये गये।
मुख्य गतिविधियां
- जनता विद्रोह एवं प्रदर्शन पर उतारू-मुख्यतः पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार एवं मुख्यतः सरकारी भवनों एवं प्रतीकों पर आक्रमण।
- आंदोलनकारियों को समुचित नेतृत्व प्रदान करने के लिय कुछ नेताओं की भूमिगत गतिविधियां।
- बलिया (उ.प्र.), तामलुक (बंगाल) एवं सतारा (महाराष्ट्र) में समानांतर सरकारों का गठन।
- समाज के विभिन्न वर्ग, जिन्होंने आंदोलन में सक्रियता से भाग लिया
- युवा, महिलाऐं, श्रमिक, किसान, सरकारी सेवक, एवं साम्यवादी।
- फरवरी 1943: गांधी ने आमरण अनशन प्रारंभ किया।
- 23 मार्च, 1943: पाकिस्तान दिवस मनाया गया।
सी राजगोपालाचारी फार्मूला मार्च 1944
- मुस्लिम लीग को तुरंत भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन का समर्थन करना चाहिए तथा अंतरिम सरकार को सहयोग प्रदान करना चाहिये।
- युद्ध के उपरांत मुस्लिम बहुसंख्यक क्षेत्रों को आत्म-निर्धारण का अधिकार प्रदान किया जाये।
- देश के विभाजन की स्थिति में रक्षा, वाणिज्य एवं दूरसंचार इत्यादि मुद्दों का संचालन एक ही केंद्र से किया जाये।
- जिन्ना ने फार्मूले को अस्वीकार कर दिया क्योंकि वे चाहते थे कि कांग्रेस द्वि-राष्ट्र सिद्धांत को स्वीकार कर ले।
देसाई लियाकत समझौता
- केंद्रीय कार्यकारिणी में कांग्रेस एवं मुस्लिम लीग दोनों का समान प्रतिनिधित्व हो।
- 20 प्रतिशत स्थान अल्पसंख्यकों के लिये आरक्षित किये जायें।
वेवेल योजना शिमला सम्मेलन जून 1945
- अपवादस्वरूप गवर्नर-जनरल एवं कमांडर-इन-चीफ को छोड़कर,
- गवर्नर-जनरल की कार्यकारिणी के सभी सदस्य भारतीय होंगे।
- परिषद में हिन्दू एवं मुसलमानों की संख्या बराबर रखी जायेगी।
- मुस्लिम लीग ने शर्त रखी कि परिषद के सभी मुसलमानों का मनोनयन वह खुद करेगी तथा उसने कार्यकारिणी परिषद में साम्प्रदायिक निषेधाधिकार की मांग की।
- कांग्रेस ने आरोप लगाया कि वैवेल योजना, उसे विशुद्ध सवर्ण हिन्दू दल घोषित करने का प्रयास है।