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modern history आधुनिक भारत का ईतिहास , स्वतंत्रता एवं विभाजन की ओर , 1939 -1947 भाग 2


 ब्रिटिश शासन के अंतिम 2 वर्ष
दो मुख्‍य आधार
1. स्वतंत्रता एवं विभाजन के संबंध में कुटिल समझौते; सांप्रदायिकता एवं हिंसा से परिपूर्ण।

2. तीव्र, उन्मादी जन-प्रतिक्रिया।

- जुलाई 1945: ब्रिटेन में श्रमिक दल का सत्ता में आना।

- अगस्त 1945: केंद्रीय एवं प्रांतीय विधानसभाओं के लिये चुनावों की घोषणा।

- सितम्बर 1945: युद्ध के उपरांत संविधान सभा गठित करने की घोषणा।

सरकारी रुख में परिवर्तन , इसका कारण था

- वैश्विक शक्ति समीकरण में परिवर्तन, ब्रिटेन अब विश्व की नंबर एक शक्ति नहीं रहा।

- श्रमिक दल का भारत से सहानुभूति प्रदर्शन।

- ब्रिटिश सैनिकों का पस्त होना एवं ब्रिटिश अर्थव्यवस्था में पराभव।

- सम्पूर्ण एशिया में साम्राज्यवाद विरोधी लहर।

- ब्रिटिश नौकरशाही, कांग्रेस द्वारा पुनः नया आंदोलन करने की संभावना से भयाक्रांत।

कांग्रेस के लिए दो मुख्‍य चुनावी मुदृे
- 1942 का सरकारी दमन।
- आजाद हिंद फौज के युद्धबंदियों के लिये जनता का दबाव।


आजाद हिंद फौज के संबंध में जन – प्रदर्शन मुख्‍य बिन्‍दु

- अप्रत्याशित उत्साह एवं सशक्त भागेदारी।
- अप्रत्याशित भौगोलिक एवं सामाजिक प्रसार।
- सरकार के परम्परागत भक्त-सरकारी सेवक एवं निष्ठावान समूह भी आंदोलन के प्रभाव से अछूते नहीं रहे।
- दिनोंदिन यह मुद्दा भारत बनाम ब्रिटेन बनता गया।

तीन प्रमुख विद्रोह
- 21 नवंबर, 1945 को कलकत्ता में, आजाद हिंद फौज के सैनिकों पर मुकद्दमा चलाये जाने को लेकर।

- 11 फरवरी 1946 को पुनः कलकत्ता में, आजाद हिंद फौज के एक अधिकारी को सात वर्ष का कारावास दिये जाने के विरोध में।

- 18 फरवरी, 1946 को बंबई में; भारतीय शाही सेना के नाविकों की हड़ताल के संबंध में।

चुनाव परिणाम

- कांग्रेस ने केंद्रीय व्यवस्थापिका की 102 सीटों मे से 57 सीटों पर विजय प्राप्त की। उसे मद्रास, बंबई, संयुक्त प्रांत, बिहार, मध्य प्रांत एवं उड़ीसा में पूर्ण बहुमत मिला, पंजाब में उसने यूनियनवादियों एवं अकालियों के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनायी।

- मुस्लिम लीग ने केंद्रीय व्यवस्थापिका के 30 आरक्षित स्थानों पर विजय प्राप्त की- सिंध एवं बंगाल में उसे पूर्ण बहुमत मिला।

1946 के अंत तक अंग्रेजों की वापसी क्यों सुनिश्चित लगने लगी

- राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में भारतीय राष्ट्रवादियों की उत्तरोत्तर सफलता।

- नौकरशाही एवं अंग्रेज राजभक्तों के मनोबल में ह्रास।

- आजाद हिंद फौज के युद्धबंदियों के प्रति सैनिकों का समर्थन तथा भारतीय शाही सेना के नाविकों का विद्रोह।

- समझौते एवं दमन की ब्रिटिश नीति का सीमाकरण।

- आंतरिक सरकारी शासन का असंभव हो जाना।

अब सरकारी नीति का मुख्य उद्देश्य


भारतीयों को सत्ता हस्तांतरित करके सम्मानजनक वापसी तथा साम्राज्यवादी शासन के पश्चात भारत-ब्रिटेन संबंधों को मधुर बनाये रखने की योजना।
कैबिनेट मिशन
- पाकिस्तान का प्रस्ताव अस्वीकृत।
- मौजूदा विधानसभाओं का तीन समूहों-, एवं में समूहीकरण।
- संघ, प्रांतों एवं देसी रियासतों में तीन-स्तरीय कार्यपालिका एवं व्यवस्थापिका।
- प्रांतीय विधानसभायें, संविधान सभा के सदस्यों का चयन करेंगी।
- रक्षा, विदेशी मामले एवं संचार के लिये एक सामान्य केंद्र (Common Center) की व्यवस्था।
- प्रांतों को स्वायत्तता तथा अवशिष्ट शक्तियां।
- देशी रियासतें, उत्तराधिकारी सरकार या ब्रिटिश सरकार से समझौता करने हेतु स्वतन्त्र।
- भविष्य में प्रांतों को समूह या संघ में सम्मिलित होने की छूट।
इस बीच संविधान सभा द्वारा एक अंतरिम सरकार का गठन किया जायेगा।
- व्याख्याः कांग्रेस ने तर्क दिया कि समूहीकरण वैकल्पिक था, जबकि लीग ने सोचा कि समूहीकरण अनिवार्य है। मिशन ने लीग के मसले को समर्थन देने का निश्चय किया।
- स्वीकार्यताः जून 1946 में लीग तथा कांग्रेस दोनों ने कैबिनेट मिशन योजना को स्वीकार कर लिया।
- आगे का विकासः जुलाई 1946: नेहरू के प्रेस वक्तव्य के पश्चात मुस्लिम लीग ने योजना से अपना समर्थन वापस ले लिया तथा 16 अगस्त, 1946 को प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस' मनाने की घोषणा की।

- सितम्बर, 1946: जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में अंतरिम सरकार ने शपथ ली।
- अक्टूबर, 1946: मुस्लिम लीग, अंतरिम सरकार में सम्मिलित लेकिन उसने अड़ियलवादी रवैया अपनाया।
- फरवरी 1947: कांग्रेस के सदस्यों ने मुस्लिम लीग के सदस्यों को अंतरिम सरकार से निष्कासित करने की मांग की, लीग ने संविधान सभा को भंग करने की मांग उठायी।

एटली की घोषणा 20 फरवरी 1947
30 जून, 1948 की अवधि तक सत्ता-हस्तांतरण कर दिया जायेगा, सत्ता हस्तांतरण या तो एक सामान्य केंद्र (Common Center) या कुछ क्षेत्रों में प्रांतीय सरकारों को किया जा सकता है।

माउंटबेटन योजना 3 जून 1947

- पंजाब एवं बंगाल विधान सभायें विभाजन का निर्णय स्वयं करेंगी; सिंध भी अपना निर्णय स्वयं करेगा।

- .-प्र. सीमांत प्रांत तथा असम के सिलहट जिले में जनमत संग्रह कराया जायेगा यदि विभाजन हुआ दो डोमिनयन बनाये जायेंगे, दोनों की अलग-अलग संविधान सभायें होंगी।

- 15 अगस्त, 1947 को भारत की स्वतंत्रता दे दी गयी।

- 18 जुलाई, 1947 ब्रिटिश संसद ने भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947" पारित किया; 15 अगस्त, 1947 से इसे क्रियान्वित किया गया।

शक्तिया तथा कारक जिन्होंने अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश किया

- ऐतिहासिक उद्देश्य का सिद्धांत।

- साम्राज्यवाद का पतन।

- दो महान शक्तियों का उदय।

- इंग्लैंड में श्रमिक दल का उदय।

- भारतीय राष्ट्रवाद को रोकने में अंग्रेजों की विफलता।

- विस्फोटक परिस्थितियां तथा कानून व्यवस्था की स्थिति।

- भारतीय नौसेना का विद्रोह।

- वामपंथ का उभरना।

- द्वि-विकल्प सिद्धांत।

- राष्ट्रमंडल का विकल्प।

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