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modern history आधुनिक भारत का ईतिहास , राष्ट्रिय आन्‍दोलन 1919 - 1939 ई. भाग 2


दांडी मार्च – 12 मार्च – 6 अप्रेल , 1930

आंदोलन का प्रसार

- पश्चिमोत्तर प्रांत में खुदाई खिदमतगार द्वारा सक्रिय आंदोलन।

- शोलापुर में कपड़ा मजदूरों की सक्रियता।

- धारासाणा में नमक सत्याग्रह।

- बिहार में चौकीदारी कर-ना अदा करने का अभियान।

- बंगाल में चौकीदारी कर एवं यूनियन बोर्ड कर के विरुद्ध अभियान।

- गुजरात में कर-ना अदायगी अभियान।

- कर्नाटक, महाराष्ट्र एवं मध्य प्रांत में वन कानूनों का उल्लंघन।

- असम में कनिंघम सरकुलर' के विरुद्ध प्रदर्शन।

- उत्तर प्रदेश में कर-ना अदायगी अभियान।

- महिलाओं, छात्रों, मुसलमानों के कुछ वर्ग, व्यापारी-एवं छोटे व्यवसायियों दलितों, मजदूरों एवं किसानों की आंदोलन में सक्रिय भागेदारी।

प्रथम गोलमेज सम्‍मेलन नवंबर 1930 – जनवरी 1931

कांग्रेस ने भाग नहीं लिया।

गांधी – इरविन समझौता – मार्च 1931

कांग्रेस, सविनय अवज्ञा आदोलन वापस लेने तथा द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने हेतु सहमत।

कांग्रेस का कराची अधिवेशन – मार्च 1931

गांधीजी और इरविन के मध्य हुये दिल्ली समझौते का अनुमोदन, अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर अधिवेशन में गतिरोध पैदा हो गया।
द्वीतीय गोलमेज सम्‍मेलन – दिसम्‍बर 1931

- ब्रिटेन के दक्षिणपंथी गुट द्वारा भारत को किसी तरह की रियासतें दिये जाने का विरोध।

- अल्पसंख्यकों को संरक्षण दिये जाने के प्रावधानों पर सम्मेलन में गतिरोधान दिसम्बर 1931 से अप्रैल 1934 तक सविनय अवज्ञा आदोलन का द्वितीय चरण।

साम्‍प्रदायिक निर्णय

- दलित वर्ग के लोगों को प्रथक प्रतिनिधित्व।

- राष्ट्रवादियों ने महसूस किया कि यह व्यवस्था राष्ट्रीय एकता के लिये गंभीर खतरा है।

- गांधीजी का आमरण अनशन (सितम्बर 1932) तथा पूना समझौता

भारत सरकार अधिनियम , 1935

- प्रस्तावित- एक अखिल भारतीय संघ, केंद्र में द्विसदनीय व्यवस्थापिका, प्रांतीय स्वायत्तता, विधान हेतु 3 सूचियाँ- केन्द्रीय, प्रांतीय एवं, समवर्ती।

- केंद्र में प्रशासन हेतु विषयों का सुरक्षित एवं हस्तांतरित वर्ग में विभाजन।

- प्रांतीय व्यवस्थापिका के सदस्यों का प्रत्यक्ष निर्वाचन।

- 1937 के प्रारंभ में प्रांतीय व्यवस्थापिकाओं हेतु चुनाव संपन्न। कांग्रेस द्वारा बंबई, मद्रास, संयुक्त प्रांत, मध्यभारत, बिहार, उड़ीसा एवं पश्चिमोत्तर प्रांत में मंत्रिमंडलों का गठन।

- अक्टूबर-1939 द्वितीय विश्व युद्ध से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण कांग्रेस मत्रिमंडलों ने त्यागपत्र दिये।


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