जल संसाधन
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राष्ट्रीय जल संसाधन परिषद
की स्थापना
भारत सरकार
द्वारा मार्च
1983 मेँ शीर्ष
राष्ट्रीय संगठन
के रुप मेँ की गई है।
- केंद्रीय जल तथा विद्युत
अनुसंधान केंद्र,
पुणे जल और ऊर्जा
संसाधन विकास
तथा जल परिवहन से संबंधित परियोजनाओं के लिए व्यापक अनुसंधान एवं विकास
सहायता उपलब्ध
कराता है।
- केंद्रीय भूमिगत
जल बोर्ड
राष्ट्रीय स्तर
पर भूमिगत
जल संसाधनो
के वैज्ञानिक विकास और उनके प्रबंधन
के लिए जिम्मेदार है।
- गंगा बाढ़
नियंत्रण आयोग,
पटना की स्थापना 1972 मेँ की गई। आयोग को गंगा नदी प्रणाली मेँ बाढ़ नियंत्रण व्यापक योजनाएं
तैयार करने
का कार्य
सौंपा गया है।
- राष्ट्रीय जल विज्ञान संसाधन,
रुड़की की स्थापना 1979 में जल विज्ञान
के सभी पहलुओं से व्यवस्थित और वैज्ञानिक कार्य
शुरु करने,
उन्हें बढ़ावा
देने और उनमेँ समन्वय
स्थापित करने
के उद्देश्य से की गई।
- केंद्रीय जल आयोग, देश मेँ जल संसाधनोँ के क्षेत्र मेँ
1945 से अब तक कार्य
करने वाला
सर्वप्रमुख तकनीकी
संगठन है।
- जल संसाधनो
के समुचित
विकास के लिए कारगर
उपाय सुनिश्चित करने के लिए सितंबर
1990 मेँ राष्ट्रीय जल बोर्ड
का गठन किया गया।
- अन्तर्राज्यीय जल विवाद को निपटाने के लिए अब तक गोदावरी,
कृष्णा, नर्मदा,
कावेरी, रावी
एवं व्यास
नदियों को जल विवाद
न्यायाधिकरण बनाए
गए हैं।
- नहरोँ द्वारा
सिचाई सर्वाधिक पंजाब, हरियाणा,
उत्तर प्रदेश,
उत्तराखंड मेँ होती है।
- देश की सबसे लंबी
नहर इंदिरा
गांधी नहर है, जो
649 किलोमीटर पंजाब,
हरियाणा और राजस्थान को स्पर्श करती
है।
- नलकूप द्वारा
सिंचित राज्य
क्रमशः उत्तर
प्रदेश, आंध्र
प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा
हैं, जबकि
कुओं द्वारा
क्रमशः गोवा,
महाराष्ट्र, राजस्थान व गुजरात
हैं।
भारत – जल प्रपात
प्रपात का नाम - नदी
- ऊंचाई (मी.)
- राज्य
जोग (राजा,
रॉकेट, रोरर
और दाम ब्लाचें) - शरावती
- 279 - महाराष्ट्र-कर्नाटक
शिव-समुद्रम
- कावेरी - 90 - कर्नाटक
गोकक - गोकक
- 54 - कर्नाटक
बिहार प्रपात
- टोंस - -- - झारखण्ड
चूलिया - चम्बल
- 18 - राजस्थान (कोटा)
धुआंधार (संगमरमर
प्रपात) - नर्मदा
- 10 - मध्य प्रदेश
हुण्डरु - स्वर्ण
रेखा - -- - झारखण्ड
गौतम धारा
- गंगा - -- - --
कैम्पटी प्रपात
- -- - -- - मसूरी, उत्तराखंड
बूढ़ा घाट
- बूढ़ा नदी
- -- - --
यैन्ना प्रपात
- यैन्ना घाटी
- 183 - महाराष्ट्र
पुनासा - नर्मदा
- 12 - मध्य प्रदेश