परिचय
- अकबर का पूरा नाम जलालुद्दीन मोहम्मद
अकबर था।
- अकबर का राजतिलक 1556 में
14 वर्ष की आयु में कलनौर (पंजाब)
में हुआ।
- अकबर ने आदिल शाह सूरी के वजीर हेमू
को 1556 में पानीपत के दुसरे युद्ध
मे परास्त
किया।
- 1556 -1560 तक अकबर
ने बैराम
खान के संरक्षण में शासन किया।
- अपनी उपमाता
महामंगा की सलाह पर अकबर ने बैराम खाँ से साम्राज्य की बागडोर
अपने हाथों
में ले ली।
- अकबर का विवाह कछवाहा
वंश की राजकुमारी हीरा
कुँवरी से हुआ था। इतिहास में जोधाबाई के नाम से जाना जाता
है। बाद में इन्होने
राजकुमार सलीम
को जन्म
दिया जिसे
इतिहास में मुगल सम्राट
जहांगीर के नाम से जाना जाता
है।
- 1576 में अकबर
ने आमेर
के राजा
मानसिंह को हल्दीघाटी के युद्ध (1576) में मेवाड़ के महाराणा प्रताप
का सामना
करने के लिए भेजा
जिसमें महाराणा
प्रताप की पराजय हुई।
- अकबर ने
1572 में गुजरात
विद्रोह का भी दमन किया था। एवं गुजरात
विजय के उपलक्ष्य में फतेहपुर सीकरी
में बुलन्द
दरवाजे का निर्माण करवाया
था।
- 1579 में इसने
एक आदेश
‘मज़हरनामा’ जारी
किया, जिसके
तहत इसने
न्याय एवं कानून व्यवस्था को अपने
हाथों में ले लिया।
- अकबर का अंतिम अभियान
1601 में असीरगढ़
(खानदेश) था।
अकबर के अभियान
वर्ष - विपक्षी
1561 - मालवा का बाज़ बहादुर
1564 - गढ़ कटंगा
की रानी
दुर्गावती
1567 - चितौड़ (मेवाड़)
1572 - गुजरात
1574 - बंगाल
1576 - मेवाड़ के महाराणा प्रताप
1581 - काबुल
1586 - कश्मीर
1593 - अहमदनगर की शासिका चाँदबीवी
1601 - खानदेश (असीरगढ़)
अकबर का प्रशासन
- 1580 में अकबर
ने पूरे
साम्राज्य को
12 सुबों में विभाजित कर दिया था। ये सुबे
थे- बंगाल,
बिहार, इलाहाबाद, आगरा, दिल्ली,
लाहौर, मुल्तान,
काबुल, अजमेर,
मालवा और गुजरात। प्रत्येक प्रान्त में एक सुबेदार,
दीवान बख्शी,
सदर एवं काजी की नियुक्तिियुक्ति सुबेदार,
दीवान बख्शी
की गई थी।
- प्रान्तों को भी सरकार
एवं परगना
में विभाजित
किया गया।,
- सरकार के मुख्य अधिकारी
फौजदार एंव अमलगुजार थे।
- साम्राज्य की पूरी भूमि
जागीर, खालसा
एवं इनाम
भूमियों में विभक्त कर दी गई थी।
अकबर की धार्मिक नितियॉ
- अकबर ने
1575 में फतेहपुर
सीकरी में धार्मिक मामलों
पर विचार
–विमर्श करने
के लिए एक इबादत
खाने का निमार्ण करवाया।
- इबादत खाना
में जो दार्शनिक थे वे निम्न
थे
1. ब्राह्मण : पुरूषोत्तम एवं देवी।
2. जैन : हीर विजय सूरी
एवं जिनचंद्र सूरी
3. पारसी : दस्तुर
मेहरजी राणा
- 1563 में अकबर
ने हिंदुओ
पर से तीर्थकर निरस्त
कर दिया।
- अकबर ने
1579 में जजिया
कर भी हटा दिया।
- अकबर ने एक नया खुतबा जारी
किया जो फैजी द्वारा
लिखा गया था एवं
1579 में उसने
मज़हरनामा घोषित
किया। इसमें
उसे इस्लामी
कानून का अंतिम व्याख्याता माना है। मज़हर नामा
को उलेमास
द्वारा नापसंद
किया गया।
- उसके उदारवादी होने की झलक तोहिद-ए-इलाही
या दीन-ए-इलाही
से प्रकट
होता है, जो सूफी
दिव्य एकेश्वरवाद से प्रतिपादित है।
- बीरबल, अबुल
फजल एवं फैजी ने दीन-ए-इलाही धर्म
को अपनाया
था।
अकबर का दरबार
- अकबर के दरबार में नौ बहुमुखी
व्यक्तित्व वाले
व्यक्ति उपस्थित
थे जो अलग-अलग क्षेत्रों में प्रख्यात थे। इन्हे नवरत्न
कहा जाता
है।
- इस नवरत्न
में सम्मिलित थे- टोडरमल,
अबुल फैजी
फैजी, बीरबल,
तानसेन, अब्दुर-रहीम- खानखाना,
मुल्लाह- दो-प्याज, राजा
मानसिंह एवं फकीर अज़ीउद्दीन।
- अकबर ने एक चित्रकारी करखाने की स्थापना की जिसका प्रमुख
अब्दुस-समद को बनाया
गया।
- राल्फ फिच
1585 में अकबर
के दरबार
में आने वाला प्रथम
अंग्रेजी व्यक्ति
था।
- “अकबरनामा” आईन-ए-अकबरी
का ही उत्तरार्ध है जो अबुल
फज़ल की कृति है। यह भाग अकबर के शासनकाल के कानून व्यवस्था एवं राजस्व
से सम्बंधित है।