- बाबर के बाद हुमायूँ
सिंहासन पर बैठा लेकिन
तैमूरी वंश की प्रथा
के चलते
उसे अपने
भाईयों के साथ सत्ता
का बंटवारा
करना पड़ा।अत:
सुलेमान को बदख्शान, कामरान
को काबुल
एवं कंधार
एवं अस्करी
व हिंदाल
को सिंध
प्रान्त दे दिये गए।
- इसने दिल्ली
में दीनपनाह
का निर्माण
कर उसे अपनी राजधानी
बनाया।
- उसे शेरशाह
के रूप में कडे प्रतिरोध का सामना करना
पड़ा।
- शेरशाह सूरी
ने हुमायूँ
को 1539 में चौसा के युद्ध में हराया।
- इसके बाद
1540 में भी शेरशाह ने उसे बिलग्राम (कन्नौज) के युद्ध में परास्त किया।
- कन्नौज हार के बाद हुमायूँ भारत
से बाहर
चला गया।
वह पर्शिया
के सफवी
वंश के पास एक शरणार्थी के रूप में पहुँचा एवं पर्शियन राजा
ताहमस्प ने इसका शाही
स्वागत किया।
- 1545 में शेरशाह
की मृत्यु
के बाद हुमायूँ पुन:
भारत लौटा
एवं कंधार
को अपने
अधिकार में ले लिया।
उसने शाह ताहमस्प की सहायता से काबुल में अपना शासन
पुनर्रस्थापित कर लिया।
- इसने 1555 में सिकंदर सूर की सेना
को हरा आगरा एवं दिल्ली को अपने कब्ज़े
में ले लिया।
- इसकी बहन गुलबदन बेगम
ने हुमायूँ
की जीवनी
हुमायूँनामा लिखी।
- हुमायूँ की पत्नी हमीदाबानू बेगम ने दिल्ली में उसका मकबरा
बनवायां जिसे
हुमायूँ का मकबरा कहा जाता है।
- 1556 में अपने
पुस्तकालय की सीढियों से गिरने की वजह से हुमायूँ की मृत्यु हो गई।