जलालुद्दीन खिलजी (1290 - 1296 )
- यह
70 वर्ष की आयु में
1290 में सिंहासन पर बैठा।
- यह
इक्तादार का इक्ता (मुखिया)
था एवं कई वर्षो
तक बलबन का सेवा
कार्य किया था।
- यह
एक पवित्र मुस्लिम शासक था। इसकी
इच्छा थी कि इसे
मुजाहिद – फी - सबिल्लाह के
नाम से जाना जाये
जिसका अर्थ था ईश्वर
की राह पर चलने
वाला योद्धा।
अलाउद्दीन खिलजी (1296 - 1316 )
परिचय
- इसका
वास्तविक नाम अली – गुरशास्प
था
- यह
1296 में अपने चाचा जलालुद्दीन
खिलजी की हत्या के
बाद सिंहासन पर बैठा।
- यह
दिल्ली का पहला तुर्की
शासक था। जिसने धर्म
को राजनीति से पृथक रखा।
उसके अनुसार शासन रिश्तों को
नहीं जानता है।
- दक्कन
में अलाउद्दीन की सेना का
नेतृत्व मलिक काफुर कर
रहा था। उसने 1308 –
1311 के मध्य देवगिरी के
यादवों को, वारंगल के
कांकटियों को, द्वारसमुद्र के
होयसालों को एवं मदुरै
के पांडियनों को परास्त किया।
- सोमनाथ
मंदिर जिसका 12 वी शताब्दी में
पुनरोद्वार का कार्य हुआ
था, उसे अलाउद्दीन खिलजी
द्वारा पुन: नष्ट कर
दिया गया।
- वह
एकमात्र सुल्तान था जिसने विद्रोह
के कारणों को जानने का
प्रयास किया। विद्रोह के कारण निम्न
थे
--> गुप्तचर
प्रणाली का अयोग्य होना।
--> मदिरा
सेवन का अधिक प्रचलन।
--> सामाजिक
संभोग एवं कुलीनों के
बीच वैवाहिक गठबंधन।
--> कुछ
विशेष लोगों के पास संपत्ति
की अधिकता ।
--> अत:
उसने विद्रोह के कारणों पर
अंकुश लगाने के लिए चार
महत्वपूर्ण फतवे (आदेश) जारी किये।
अलाउद्दीन के फतवे (आदेश)
1. प्रथम
फतवा (आदेश) - धार्मिक निधि एवं भूमि
के नि:शुल्क अनुदान
को जब्त किया जाये।
2. द्वितीय
फतवा (आदेश) - गुप्तचर प्रणाली का पुन: निर्माण
किया जाये।
3. तृतीय
फतवा (आदेश) - मदिरा सेवन को निषेध
घोषित किया गया।
4. चतुर्थ
फतवा (आदेश) - कुलीन व्यक्तियों के सामाजिक संगठनों
का निर्माण करने पर रोक
एवं वे बिना अलाउद्दीन
की अनुमति अंतरजातीय विवाह नहीं कर सकेंगे
- यह
दिल्ली का पहला सुल्तान
है जिसने स्थायी सेना का निर्माण
किया।
- बाजार
व्यवस्था को नियंत्रित करने
के लिए अलाउद्दीन ने
एक अधिकारी की नियुक्ति की
जिसे दिवान – ए – रियासत कहा गया। इसका
कार्य खाद्यान्नों, कपडो एवं अन्य
वस्तुओं के मूल्य निर्धारण
था। बाजारों की देखरेख शाहना
– ए – मन्दी नामक अधिकारी द्वारा
की जाती थी।
- हिंदुओं
को जजिया कर चुकाना होता
था।
- इसने
स्वयं को सिकंदर – ए – सानी, एलेक्सेंडर – द्वितीय घोषित किया।
- अलाउद्दीन
ललित कला प्रेमी था।
अमीर खुसरो एवं अमीर हसन
इसके राजदरबारी कवि थे।
- स्थापत्य
कला के क्षेत्र में
अलाउद्दीन खिलजी अलाई – दरवाजे का निर्माण करवाया
जो प्रांरभिक तुर्की कला का श्रेष्ठ
नमूना माना जाता है।
इसके अतिरिक्त इसने सिरी के
किले एवं हजार खंभो
के महल का निर्माण
करवाया जिसे हजार सितु
कहा जाता है।
अलाउद्दीन खिलजी के अभियान
अभियान
- वर्ष
गुजरात
- 1299
रणथम्भोर
- 1300 – 1301
वारांगल
- 1303 और 1308
चितौड -
1303
मालवा -
1305
जालौर -
1311
अमीर खुसरो
परिचय
- यह
एक फारसी कवि था। 1253 –
1325 की समयावधि के दौरान यह
दिल्ली सल्तनत के सात शासकों
के समकालीन रहा। अमीर खुसरो
एक बहुमुखी व्यक्तित्व वाला कवि था।
वह एक सैनिक था,
अरबी, फारसी, उर्दु भाषा का एक
प्रतिष्ठित कवि था।
- वह
एक अच्छा संगीतज्ञ भी था।
- वह
अलाउद्दीन खिलजी के चितौड अभियान
पर भी उसके साथ
था। खुसरों ने राजपूत महिलाओं
के जौहर का भी
वर्णन किया है।
- अमीर
खुसरो को तोता – ए – हिंद भी कहा
जाता है।
अमीर खुसरो के साहित्यिक कार्य
1. खजैन
– उल – फतह (तारीख – ए – अलाई) - अलाउद्दीन के अभियानो का
वर्णन
2. तुगलक
नामा - गयासुद्दीन तुगलक का इतिहास
3. खामसा
- पाँच कार्यो का संकलन
4. मिफ्तुल
– फतह - जलालुद्दीन खिलजी के सैन्य अभियान
5. आशिक
एवं खिज्र खाँ - देवल रानी की
प्रेम कथा